परिचय
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) की स्थापना सन् 1851 में कोयले सहित खनिज संसाधनों की खोज के उद्देश्य से हुई थी। जीएसआई ने अपनी स्थापना से लेकर 159 वर्षों में निरंतर विकास किया और विभिन्न भूवैज्ञानिक गतिविधियों तथा भूविज्ञानों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किया। स्वतंत्रता के बाद जीएसआई की गतिविधियां राष्ट्र के आर्थिक विकास में योगदान देने के उद्देश्य से खनिज गवेषण और आधारभूत सर्वेक्षणों के क्षेत्र में बहुआयामी रूप से बढ़ी हैं। वर्षों से इसने न केवल देश में विभिन्न विकास के क्षेत्रों में उपयोग में लाए गए बहुमूल्य भूवैज्ञानिक डाटा के एक विशाल संग्रह के रूप में वृद्धि की है बल्कि इसने अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के संगठन का दर्जा भी प्राप्त कर लिया है। जीएसआई के प्रमुख कार्य राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक डाटा की उत्पत्ति तथा अद्यतन करने तथा खनिज संसाधन मूल्यांकन एवं बहु-विध भूतकनीकीय तथा भूपर्यावरणीय अध्ययनों के संचालन से संबंधित हैं। भाभूस, कोलकाता मुख्यालय सहित लखनऊ, जयपुर, नागपुर, हैदराबाद, शिलांग में छ: क्षेत्रीय कार्यालय तथा देश के लगभग सभी राज्यों में कार्यालय हैं। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण खान मंत्रालय का एक सम्बद्ध कार्यालय है। संघीय मंत्रिमंडल ने भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की कार्यप्रणाली की पूर्णरूपेण समीक्षा एवं संगठन की प्रौद्योगिकी एवं जनशक्ति संसाधनों को ध्यान में रखकर उभरती हुई चुनौतियों का सामना करने की इसकी क्षमता का आकलन करने के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) का गठन किया। समिति की रिपोर्ट मार्च 2009 में प्रस्तुत की गई थी तथा मई 2009 में सरकार द्वारा स्वीकृत की गई थी। समिति द्वारा प्रस्तुत तथा सरकार द्वारा स्वीकृत संशोधित संगठनात्मक ढांचा विस्तृत रूप से कार्यान्वित कर दिया गया है। एचपीसी की संस्तुतियों के अनुसार भाभूस अपने पांच मिशनों, तीन प्रणालीय सहयोग तंत्रों एवं छ: क्षेत्रों के साथ मिशन-क्षेत्र हाइबि्रड मैटि्रक्स विधि के माध्यम से अपने कार्यक्रमों को कार्यान्वित कर रहा है।